रोबोट्स ने मरीज का हर्ट ट्रांसप्लांट किया, दुनिया का पहला मामला

रोबोट्स ने मरीज का हर्ट ट्रांसप्लांट किया, दुनिया का पहला मामला

सऊदी अरब में रोबोट्स की मदद से Heart Transplant किया गया। इस दौरान मरीज की चेस्ट में बहुत ही कम कट लगाए गए थे। सर्जरी सफल रही।
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सऊदी अरब के किंग फैसल स्पेशलिस्ट हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (KFSHRC) ने बड़ा सफलता पाई है। अस्पताल में 16 साल के मरीज का रोबोट्स के जरिए हर्ट ट्रांसप्लांट किया गया। ये दुनिया का पहला मामला है, जिसमें रोबोट्स ने इस प्रक्रिया को पूरी तरह से अंजाम दिया हो।

16 साल का मरीज हर्ट फेलिअर की आखिरी स्टेज पर था। उसके परिवार ने अस्पताल के डॉक्टरों से रिक्वेस्ट की थी कि कम चीड़-फाड़ किए ही बेटे की सर्जरी की जाए। ये सर्जरी करीब 2.30 घंटे चली।

सऊदी अरब की ये उपलब्धि हेल्थ केयर में बढ़ती उसकी लीडरशिप को दर्शाती है, साथ ही कॉम्प्लेक्स मेडिकल प्रोसीजर में रोबोटिक्स के यूज की दिशा में बड़ी कामयाबी भी है।

रोबोटिक्स ने Heart Surgery को कैसे बदला

सऊदी अरब की एजेंसी के मुताबिक, इस सर्जरी में Chest Opening Techniques की जरूरत नहीं पड़ी। मरीज के शरीर पर फिजिकल स्ट्रेस को कम करने के लिए, मेडिकल टीम ने रोबोटिक तकनीक का उपयोग करके छोटे चीरे लगाए। इस तरह से रोबोटिक्स के जरिए इस सर्जरी को अंजाम दिया गया। इससे न्यूनतम इनवेसिव सर्जरी (Minimally Invasive Surgery) का लाभ मिलता है।

Robots के जरिए नाजुक कार्य (सर्जरी) करने से रिस्क काफी कम हो गया है। इससे मरीज के बहुत तेजी से ठीक होने की उम्मीद है। रोबोटिक सर्जरी पोस्ट-ऑपरेटिव पेन को कम करने और मरीजों को उनके सामान्य जीवन में वापस लाने के लिए फेमस है। ये प्रोग्रेस हार्ट ट्रांसप्लांट के बाद बेहतर लॉन्ग टर्म रिजल्ट में बदल जाता है।

ऐतिहासिक सर्जरी से पहले कई हफ्ते तक चली तैयारी

बताया गया कि इस रोबोटिक सर्जरी के लिए कई अस्पताल में कई हफ्तों तक तैयारी की गई थी। 16 साल के लड़के की सर्जरी करने से पहले ट्रायल पर तीन दिनों में सात बार इस प्रक्रिया को अंजाम दिया। यानी मॉक सर्जरी हुई। इस नई प्रक्रिया का उपयोग करके सर्जन किसी मरीज की छाती को खोले बिना हर्ट तक पहुंचने में सक्षम हैं।

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